न्यूट्रॉन की खोज किसने की थी?
एक परमाणु तीन प्रकार के मूल कणों के मिलने से बनता है, इन्हें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन कहते हैं। न्यूट्रॉन और प्रोटॉन मिलकर परमाणु नाभिक (Nucleus ) बनाते हैं। जबकि इलेक्ट्रान नाभिक के चारो और विभिन्न कक्षाओं में भ्रमण करते रहते हैं । न्यूट्रॉन पदार्थ का एक उप आणविक (Sub -Atomic ) कण है। न्यूट्रॉन पर कोई विद्युत आवेश नहीं होता।न्यूट्रॉन का आविष्कार - Discovery of neutron
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन से अधिक होता है। क्या आप जानते हैं कि न्यूट्रॉन का आविष्कार किसने किया। ? न्यूट्रॉन का आविष्कार सर जेम्स चैडविक नामक ब्रिटिश भौतिक शास्त्री ने किया था । सन 1900 में वैज्ञानिकों को इस बात का पता चल गया था कि परमाणु में इलेक्ट्रॉन और फोटो नामक विद्युत आवेशित कण होते हैं। इलेक्ट्रॉनों पर ऋणात्मक (Negative)और प्रोटॉन पर धनात्मक (Positive) आवेश होता है।
वैज्ञानिकों को संदेह था की परमाणु में उदासीन कण भी हो सकते हैं। सन 1932 में चैडविक ने यह प्रदर्शित कर दिखाया कि बेरिलियम (Beryllium) नामक तत्व पर अल्फा किरणों की बौछार करने से जो विकिरण (Radiation) निकलते हैं वे वास्तव में उदासीन कण ही होते हैं। इन कणों का नाम न्यूट्रॉन रखा ।
चैडविक ने इन कणो के दूसरे गुणों का भी अध्ययन किया। उन्होंने आण्विक नाभिक से निकलने वाले न्यूट्रॉन को तीव्र न्यूट्रॉन नाम दिया ।
चैडविक नहीं समस्थानिको (Isotopes) के अस्तित्व की भी विवेचना की। उन्होंने बताया कि जब किसी समान प्रोटॉन की संख्या वाले नाभिकों में न्यूट्रॉन की असमान संख्या होती है तब ऐसे नाभिकों को उस तत्व का समस्थानिक कहते हैं।
न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती है । इसका आणविक भार भिन्न होता है।चैडविक को उनके द्वारा किए गए आविष्कारों पर सन 1935 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। चैडविक ने नाभिक श्रृंखला प्रक्रियाओं पर सराहनीय कार्य किया । उन्होंने वित्तीय विश्वयुद्ध के दौरान विकसित हुए परमाणु बम के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
न्यूट्रॉन के गुणों का अध्ययन करने पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि जब यह कण नाभिक के बाहर होता है, तब अस्थाई होता है। औसतन 12 मिनट में एक न्यूट्रॉन का क्षय हो जाता है।
समय की लंबाई को न्यूट्रॉन का आधा जीवन कहा जाता है। नाभिक के अंदर न्यूट्रॉन सामान्यता स्थाई होते हैं, लेकिन यदि नाभिक के अंदर इनका क्षय होने लगता है तब यह पदार्थ रेडियोधर्मी (Radio Active ) हो जाता है।
न्यूट्रॉन की किरणे खतरनाक होती हैं
न्यूट्रॉन की किरणें बहुत ही खतरनाक होती है वे आसानी से किसी भी पदार्थ में प्रवेश कर सकती हैं।
यही कारण है कि जो वैज्ञानिक संस्थानों में कार्य करते हैं उन्हें अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षा कवच पहनने पड़ते हैं